केरल के मा० राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे शाहजहाँपुर! विनोबा सेवा आश्रम बरतारा में गीता जैंयती समारोह में हुए शामिल!
CRS शाहजहाँपुर-बुधवार को केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने विनोबा सेवा आश्रम बरतारा पहुंचकर गॉड ऑफ़ ऑनर लिया! संत विनोबा की प्रतिमा पर सूत की माला से माल्यार्पण कर गीता स्वाध्याय वाटिका में वृक्षारोपण किया!
इसी के साथ उन्होने गीता के 18 अध्यायों का अवलोकन, वाटिका स्वाध्याय का लोकार्पण एवं अहिंसा पुस्तकालय का अवलोकन कर विनोबा जी के हृदय को सर्वाधिक स्पर्श करने वाली गीता माँ को समर्पित विनोबा विचार प्रवाह द्वारा आयोजित गीता जयंती के समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए!
इस मौके पर मा० राज्यपाल श्री खान ने गीता स्वाध्याय एवं एनुअल रिव्यू पुस्तक का विमोचन किया तथा 05 लोगो को विनोबा रत्न एवं 18 लोगों को सेवा श्री सम्मान से भी सम्मानित किया!गीता पर प्रवचन देते हुए कहा कि गांधी एवं विनोबा के विचार का सही अर्थ को पूरी दुनिया में लोग सुनते हैं!
उन्होने आगे बताया कि गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं! गीता मनुष्य को धर्म और अनीति के समक्ष दृढ़ संकल्पित होकर संघर्ष करने की प्रेरणा देती है! सांसारिक जीवन में रहते हुए प्रत्येक मनुष्य के मानस पटल पर जब जडता, तामसिकता, आलस्य, प्रमाद, चिंता अशांति एवं कर्तव्य विमुखता छा जाती है, तब ऐसे अशांत चित्त को गीता का स्वर्णिम चिंतन सकारात्मकता, उल्लास एवं आंतरिक ऊर्जा से परिपूर्ण करता है! भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद और धर्मसूत्रों का है! इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है!
उन्होंने कहा कि गीता के विचार हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है! दुनिया में गीता सबसे बड़ा शास्त्र है तथा गीता दूध रूपी अमृत है! गीता के हर अध्याय में योग है! आत्मा सब की एक है उसमें कोई अंतर नहीं है! गीता का उपदेश है कि बहम को बाहर निकालो उसी दिन से तेरा मेरा अहंकार समाप्त हो जाएगा! गीता में कहा गया है कि पांच तत्वों से मिलकर शरीर बना है! गीता के उपदेशों को आत्मरापित करने तथा सच्चा ज्ञान होने पर पेड़ में भी भगवान नजर आने लगेंगे। गीता अध्ययन से आत्मा में ज्ञान का प्रकाश भर जाता है जो अज्ञानता को दूर करता है!
उन्होंने यह भी बताया कि गीत का ज्ञान हो जाने से दूसरों का दर्द भी अपने को महसूस होने लगेगा! सनातन धर्म पत्थर में ठोकर मारने की भी इजाजत नहीं देता है! सभी को अपना मानकर सभी का सम्मान करना चाहिए तथा स्वप्न में भी किसी का अहित नहीं सोचना चाहिए! गृह कार्य सहित अन्य कार्य करते हुए भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, इसके लिए गेरुआ वस्त्र पहनने की कोई आवश्यकता नहीं है! गीता में कहा गया है कि कर्म करो फल की इच्छा न करो!
मेहनत और ईमानदारी से कार्य करने से फल स्वमेव ही प्राप्त हो जाता है और यदि ऐसा नहीं होता है तो भी वह दुखी नहीं होता है क्योंकि वह व्यक्ति सुख और दुख से विरक्त हो चुका होता है!
विनोवा सेवा आश्रम के संस्थापक रमेश भय्या ने गीता जयंती समारोह पर विषय प्रवेश कराया! आचार्य विनोबा जी के एक वर्ष मौन स्वर्ण जयंती स्मृति प्रेरणा से विनोबा सेवा आश्रम के संस्थापक रमेश भैया ने 25 दिसंबर 2024 से एक वर्ष के लिए मौन धारण का संकल्प लिया! इस अवसर पर जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक राजेश एस सहित अन्य अधिकारी एवं सेवा आश्रम से संबंधित महानुभाव मौजूद रहे!