
CRS AGENCY। मध्य प्रदेश में तो बीजेपी की ही सरकार है, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. जिसका नेतृत्व अशोक गहलोत कर रहे हैं. अशोक गहलोत को राजनीतिक जादूगर भी कहते हैं. अपनी रणनीतिक चालों के चलते ही उन्होंने पिछली बार अपनी अस्थिर हो चुकी सरकार को भी बचा लिया था. उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी. इस बार भी सचिन पायलट के मिजाज चुनाव के पहले बदले-बदले से नजर आ रहे हैं.अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के पहले बीजेपी को इस साल 2023 के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव की चुनौती से भी निपटना होगा. बीजेपी के लिए इन हिंदी भाषी राज्य के परिणाम लोकसभा चुनाव का विजयपथ बन सकते हैं. इसीलिए बीजेपी खासकर राजस्थान और मध्य प्रदेश में बहुत फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है.
वसुंधरा के नाम लेने का राजनीतिक मतलब?
बीजेपी अगर वसुंधरा राजे को सीएम चेहरे के रूप में आगे लाती है तो उससे पार्टी में अंदरूनी कलह और बढ़ने की संभावना है. दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे पिछले काफी समय से पार्टी से अलग-थलग कर दी गईं. इसीलिए अशोक गहलोत ने उनके नाम की चुनौती बीजेपी नेतृत्व को दी है, ताकि बीजेपी के अंदरूनी विवाद की लकीर और बड़ी हो सके.अशोक गहलोत बहुत सोच समझकर बयान देते हैं. अगर कभी फंसते हैं तो वहां से यह कहकर निकल बचते हैं कि “मैं तो ऐसे कई बयान देते रहता हूं. हर बात हमेशा मुझे याद नहीं रहतीमुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले भी वसुंधरा राजे के नाम का राजनीतिक उपयोग कर चुके हैं. उन्होंने मई में मोदी की रैली के पूर्व एक बयान दिया था कि पिछली अस्थिर हुई उनकी सरकार बसुंधरा राजे की ही वजह से बची थी. उनके इस बयान के बाद राजस्थान में बड़ा बवाल मच गया था. वसुंधरा और बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अशोक गहलोत पर सियासी फायदे के लिए नाम का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए उनसे सुबूत पेश करने की मांग की थी. इस बयान के बाद गहलोत ने बिल्कुल चुप्पी साध ली थी.
