प्रशासन की आमजन को सख्त चेतावनी, लेकिन मुख्यालय पर न विनियमित जेई है और न विकास कार्यो में प्रगति!
CRS तिलहर/शाहजहाँपुर-नगर के चारो ओर दर्जन भर लगे वोर्ड जिन पर “विनियमित क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण, परिवर्तन से पूर्व सक्षम प्राधिकारी से अनुमति अनिवार्य है! विनियमित क्षेत्र में अबैध रूप से निर्माण/परिवर्तन करने वालो के बिरुध सुसंगत धाराओं में कठोर कार्यवाही की जाएगी” बड़ी और सख्त चेतावनी लिखा अब नज़र आ रही है जबकि नगर में तमाम भवन/व्यवसायिक भवन लगातार भवन मानचित्र पास कराए बिना ही धड़ल्ले से निर्माण हो रहे हैं!
और हों भी क्यूं न क्यूंकि भवन मानचित्र पास कराने के लिए आखिर आमजन कहाँ कितना भटके.? क्यूंकि यहाँ स्थानीय स्तर पर तहसील मुख्यालय पर एक जेई मात्र लगभग दो वर्ष से ही नदारद हो गया! अपने रहने और परिवार पालने के लिए कारोबार करने को भवन निर्माण करने के लिए आखिर कब तक भटके एक आम नागरिक, एक एक बड़ा प्रश्न है परन्तु इसका जबाब प्रशासन के पास तो फिलहाल दो वर्षो से नही है!
जनहित में जब इसी सम्बन्ध में एक प्रार्थना पत्र नवांगत एसडीएम को लगभग दो माह पूर्व दिया गया तो उस पर सुनवाई होना तो दूर की बात है, आज तक चर्चा नही हो सकी तो वहीं दूसरी ओर नगर की कई सरकारी जमीनो से संबंधित आरटीआई का अब तक कोई जबाब नही मिल सका! आमजन प्रशासन का सहयोग करना चाहता है, इस बात से रत्तीभर इंकार नही लेकिन प्रशासन को जनसहयोग की नही जरुरत नही लगती बल्कि काम न कर सिर्फ फरमान जारी करने की कला में महारत हासिल लग रही है!
आवासीय/व्यवसायिक निर्माण में जनमानस की सहुलियत के लिए पूर्व की तरह यदि तहसील स्तर पर मुख्यालय पर एक जुनियर इंजिनियर नियुक्त हो और वो पूर्व की तरह विनियमित क्षेत्र में भवन मानचित्र बिधिवत पास करता रहे हैं तो नगर में अबैध निर्माण पर अंकुश ही नही लगेगा बल्कि जो सरकारी सम्पत्तियाँ हैं उन्हे भी स्वयं सुरक्षा मिलने की संभावना बन सकती है परन्तु यह मुश्किल ही नही नामुमकिन लगता है!
बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से जनमानस को मिलने वाली तमाम सहुलियते, विकास के लेटलतीफी कार्यों की आड़ में दबा कर रख दी गई! नगर को विकसित करने के नाम पर नगर में सरकार करोड़ो की योजनाएं साल 2024 निकलने के बाद भी पूरी तरह अधर में लटकी अपूर्ण नज़र आ रही हैं! इनमें चाहे जल निग़म द्वारा नगर को पेयजलापूर्ती हो या रेलवे क्रासिंग ब्रिज हो या फिर नगर का कूड़ा डंप करने के लिए डपिंग ग्राऊंड की व्यवस्था हो या गलियों और मुख्य बाजारो में बिजली के लटकती भारी केबिल हो या फिर सड़को नवीनी और चौड़ीकरण हो, सबके सब अधूरे पड़े नज़र आ रहे हैं!