रायबरेली गदागंज
रिपोर्ट मोहम्मद जावेद
*गदागंज-रायबरेली* -:अगर हम बात करें रायबरेली जिले की तो सड़कों को लेकर बहुत बड़ी बत्तर व्यवस्था है हम बात करें 07 जनवरी 1921 मुंशीगंज गोलीकांड रायबरेली की तो अंग्रेजों ने किसान आंदोलन और हिंदू सभा के महान नेता अमोल शर्मा बाबा जानकी दास थे इनको सई नदी पर अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया इतने पर सई नदी पहुंचे किसानों द्वारा अपने नेताओं की मांग की गई तो अंग्रेजों ने सई नदी का पुल ही तोड़ दिया तभी हजारों की संख्या में किसानों ने अंग्रेजों को मुंह तोड़ जवाब दिया तो अंग्रेजों द्वारा किसानों पर गोली चलाई गई जिसमें बदलू बेडिया को पहली गोली लगी सभी किसानों का भी आक्रोश बड़ा और मुंशीगंज बन गया जलियांवाला बाग सई नदी हो गई लहूलुहान ऐसे वीर सपूतों की है यह पावन धरती रायबरेली l भारत जिस समय ब्रिटिश दस्ता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ हर स्वास में मुक्ति पाने के लिए संघर्षरत था रायबरेली के सपूतों ने स्वाधीनता का प्रथम संग्राम राणा बेनी माधव सिंह की अध्यक्षता में लड़ा और अपनी शक्ति का लोहा मनाया स्वतंत्रता संघर्ष के इस पावन अनुष्ठान में अपने ही हाथों में खलल डालने का कुचक्र रचा जिसमें रायबरेली का किसान आंदोलन अतिरंजित अत्याचार के विरुद्ध पूरे देश में किसानों ने विदेशी शासकों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध समय-समय पर अपने शक्ति का दमन किया रायबरेली का किसान आंदोलन संपूर्ण राष्ट्र के हुक्मरानों की नींद उड़ाने में सफल रहा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा अंग्रेजी शासन काल में हिंदू महासभा और किसानों की रक्षा करने के लिए कई बार जेल भी गए ऐसे वीर पुरुष थे पंडित अमोल शर्मा बाबा जानकी दास लालता प्रसाद बद्री नारायण सिंह लेकिन अगर बात की जाए तो कई कार्यकाल बीत गए और कई प्रधानमंत्री भी बने और कई मुख्यमंत्री भी बने लेकिन अब तक ऐसे वीर पुरुषों का गांव सभी सुविधाओं से वंचित है अब देखना यह है कि जहां रायबरेली जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने रेल कोच कारखाना रायबरेली में आकर कहा था कि हम ऐसी पावन भूमि पर आए हैं जहां पर पंडित अमोल शर्मा बाबा जानकी दास बद्री नारायण सिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के वीर सपूत थे देखना यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कार्यकाल में इन वीर पुरुषों के गांव के लिए कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाती है या फिर सिर्फ यादों में ही सिमट कर रह जाएगी अगर बात की जाए तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा के गांव को जाने के लिए ना तो कोई पक्की सड़क है ना ही कोई स्कूल की व्यवस्था है और ना ही कोई हॉस्पिटल है हम आपको बता दें कि हर वर्ष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा की हर वर्ष 07 जनवरी को कलश यात्रा अधिकारी व नेता और सैकड़ों ग्रामीणों के साथ कीचड़ बोदा जैसी बत्तर गलियारा से निकाली जाती है चुनाव को मद्देनजर रखते हुए नेता जी आते हैं और कहते हैं कि बस कल से काम चालू हो जाएगा एक स्कूल और यह पक्की सड़क हमारे दिमाग में है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा के ग्रामसभा तक बनेगी ऐसा हम कई सालों से सुनते आ रहे हैं और देखते भी आ रहे हैं लेकिन सिर्फ कहने को कहा जाता है कि यह पावन धरती स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा जैसे वीरों की पावन भूमि है लेकिन अगर बात की जाए तो धरातल पर सिर्फ नेताओं द्वारा आश्वासन दिया जाता है लेकिन धरातल पर कुछ भी देखने को नहीं मिलता आज भी यहां के आसपास के करीब 1 दर्जन से अधिक ग्राम सभाएं हैं जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा के गांव से होकर गुजरती हैं और कहते हैं कि नेता जी ने तो आश्वासन दिया था कि मैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा की गांव तक पक्की सड़क बनाएंगे लेकिन आज तक ना किसी अधिकारी और ना किसी नेता के द्वारा ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया कि जिससे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा को आए दिन याद किया जा सके 1 साल बीतने के बाद फिर कलश यात्रा में बड़े-बड़े नेता और विधायक शिरकत करेंगे और फोटो खिंचवा कर आश्वासन देकर चले जाएंगे यहां की जनता नेताजी की कही हुई बातों का इंतजार ही किया करती है कि कब हमारे गांव की तरफ ईटा गिट्टी पत्थर गिरेगी और रोड बनेगा जनता यही राह देखती रहती है फिर अगले बरस कलश यात्रा की तैयारी करने लगती है लेकिन निराशा जस की तस बनी रहती है अब देखना यह है कि किस नेता या अधिकारी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित अमोल शर्मा बाबा जानकी दास के गांव की तरफ निगाह डाली जाती है या फिर सारी सुविधाओं व योजनाओं से यह गांव वंचित ही रह जाएगा और इसी तरह देश के वीर सपूतों का इतिहास मिट्टी में ही दबकर खत्म हो जाएगी l
RAEBARELI(DALMAU)
TAHSIL CORRESPONDENT