CRS NEWS महराजगंज/रायबरेली शनिवार स्वामी हरिदास स्मृति साहित्य सेवा संस्थान ,साहित्य सुगंध द्वारा एकादश साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन दानेश्वर मंदिर प्रांगण में हुआ।जिसकी अध्यक्षता गीतकार कृष्ण कुमार अवस्थी श्याम ने की, गोष्ठी की दिशा निर्देशिता बैसवारे की धरती सरेनी से पधारे चन्द्र प्रकाश शुक्ल एवं मुख्य अतिथि अमेठी जिले से आये हिन्दी/उर्दू के वरिष्ठ रचनाकार रमज़ान अली सफ़ीर ने की। जहां विशिष्ट अतिथि कृष्ण कुमार सिंह कन्हपुरिया वही कार्यक्रम का कुशल संचालन कुशल छंदकार दुर्गेश प्रेमी ‘ ने किया वाणी वन्दना के पश्चात रचना पाठ करते हुए असर्फांबाद से आये मनोज सिंह ने पुनः सुन्दर और ससक्त सरस्वती वंदना की जिसमें बीज मंत्र का प्रयोग सराहनीय रहा पढ़ा – दुर्गेश ‘प्रेमी’ ने पढ़ा -पैगाम -ए प्यार में सदा दिक्कत है फल सकी। किस्मत का लिखा न कभी हिकमत बदल सकी।।शिव कुमार सिंह ‘शिव’ ने पढ़ा-संसद में राहुल बाबा से,हुई बड़ी ही चूक। उड़ी चरित की धज्जियां, लोग रहे हैं थूक।कमलेश कुमार जायसवाल ‘मित्र’ ने पढ़ा-पावन कै यह माटी भले मुलु गांवन कै यह पावन माटी।चन्द्र प्रकाश शुक्ल ने पढ़ा -स्वार्थ में जब से ये मन तन हो गया।आदमीयत से भी है पतन हो गया। रमज़ान अली सफ़ीर ने पढ़ा भरोसा क्या करें आदमी का, कोई होता नहीं अब किसी का।। कृष्ण कुमार सिंह कन्हपुरिया ने पढ़ा राष्ट्रहित हर मन प्रबल भावना, आजादी अर्थ बतायें हम।अन्त में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृष्ण कुमार अवस्थी श्याम ने पढ़ा -आवा आवा महारानी अंगनवां मोरे।तोहका द्याखैं का तरपै परनवा मोरे।।अन्त में साहित्य सुगंध परिवार द्वारा आये समस्त प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया गया।