हर साल की तरह इस साल भी 347 में उर्स मुबारक बड़े धूमधाम से और अकीदत के साथ मनाया गया
सलोन
हर साल की तरह इस साल भी 347 में उर्स मुबारक बड़े धूमधाम से और अकीदत के साथ मनाया गया जिसमें जिंदगी जीने का तरीका और अखलाक बुजुर्गों से सीखने का हुक्म दिया गया क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी को दीन इस्लाम के तरीके और नबी पाक की जिंदगी को देखकर उनके बताए रास्ते पर चलकर और शायर ने कलाम पेश किया कहां वजूद आरजू में यह सब सबका है नूर ए मुस्तफा का और कव्वाली भी हुई जिसमें हजारों लोगों ने शिरकत की और दुआएं खेर किया गया इस उसमें खानकाह नियाज़िया से आए हुए हजरत कासिम मियां जी और आखिरी मियां ने नाते कलाम पेश किया सईद जहिर हुसैन जाफरी ने तकरीर की और सैय्यद अदनान मियां ने भी अपने खैर अकीकत पेश किया और आखिर में हजरत मौलाना सईद शाह अहमद हुसैन मियां साहब सलोन दुआ खैर पेश किया
RAEBARELI(SALON)
TAHSIL CORRESPONDENT