Report CRS रायबरेली 28 नवंबर 2022 जिलाधिकारी श्रीमती माला श्रीवास्तव ने जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों को पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्ट जलाने से सम्बंधित होने वाली समस्या से बचाव के लिए पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आपके संज्ञान में यह लाना है कि खरीफ फसलों की कटाई के बाद फसल अवशेष जलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है क्योंकि यह पर्यावरण एवं मृदा स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। इस सम्बन्ध में मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के अनुपालन में प्रदेश के मुख्य सचिव ने जो आदेश निर्गत किया है उसमें कहा गया हि कि फसल कटाई सत्र से पूर्व ग्राम पंचायतों तथा ग्राम प्रधानों को पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु जागरूक किये जाने तथा पराली जलाये जाने की घटना प्रकाश में आने पर उनका उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जाना है।
जिलाधिकारी ने उक्त आदेशों के क्रम में लिखा है कि आपको निर्देशित किया जाता है कि आप वर्तमान खरीफ सत्र में बोई गयी धान-गन्ना फसलों की कटाई के सम्बंध में यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी ग्राम पंचायत के विभिन्न राजस्व ग्रामों में इन फसलों के फसल अवशेष न जलाये जायें, आपसे अपेक्षा है कि आप जनप्रतिनिधि होने के नाते इस हेतु निम्न चरणबद्ध प्रक्रिया का पालन करेंगे। इस प्रक्रिया के अनुसार अपनी ग्राम पंचायत के सभी राजस्व ग्रामों के ग्राम पंचायत की साधारण सभा की बैठक आहूत करेंगे। इस बैठक में ग्राम पंचायत के जन साधारण को फसल अवशेषों को न जलाये जाने हेतु जागरूक करेंगे तथा अवशेष जलाये जाने से भूमि पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुए जन साधारण को यह भी अवगत करायेंगे यदि उनके द्वारा इस तरह का अपराधिक कृत्य किया जाता है तो सम्बन्धित के विरुद्ध क्षतिपूर्ति की वसूली सहित अन्य कार्यवाही की जायेगी।
इसी क्रम में पराली से खाद बनवायें जिसके लिए निःशुल्क डीकम्पोजर उपलब्ध कराया जा रहा है। गौशाला को अपने ग्राम वासियों के माध्यम से पराली दान करायें। गौशाला को अपने ग्रामवासियों के माध्यम से पराली देकर खाद प्राप्त करायें। उपरोक्तानुसार आयोजित खुली बैठक में कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक एवं गन्ना विभाग के गन्ना पर्यवेक्षक, राजस्व विभाग के लेखपाल व पंचायती राज के ग्राम पंचायत अधिकारी की उपस्थिति हो। ये सभी ग्राम स्तरीय लोक सेवक, बैठक में उपस्थित ग्राम सभा के सभी सदस्यों को पराली जलाये जाने से होन वाले प्रदूषण, खेती की उर्वरा शक्ति पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे।
जिलाधिकारी श्रीमती माला श्रीवास्तव ने पत्र में लिखा है कि पराली जलाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड का प्राविधान है कि 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रूपये 2500 /- प्रति घटना। 02 से 05 एकड़ के लिये रूपये 5000/- प्रति घटना। 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रूपये 15000/- प्रति घटना। अपराध की पुनरावृत्ति करने पर कारावास एवं अर्थ दण्ड से दण्डित किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने लिखा है कि उपरोक्त प्रयास किये जाने के बावजूद यदि ग्राम पंचायत के किसी व्यक्ति द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटना को घटित किया जाता है तो आपका उत्तरदायित्व होगा कि आप सम्बन्धित राजस्व लेखपाल को सम्बन्धित व्यक्ति के विरुद्ध लिखित में अवगत करायेगें। राजस्व लेखपाल का दायित्व होगा कि वह क्षतिपूर्ति की वसूली हेतु अपने स्तर से सम्बन्धित उप जिलाधिकारी को लिखित में सूचित करें।
जिलाधिकारी ने पत्र में लिखा है कि स्पष्ट कराना है कि फसल अवशेष जलाये जाने की घटना घटित होने पर यदि ग्राम प्रधान द्वारा घटना को छिपाया जाता है अथवा उच्चाधिकारियों को अवगत कराने में शिथिलता अपनाई जाती है तो यह अवधारित किया जायेगा कि फसल अवशेष जलाये जाने का अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ सम्बन्धित ग्राम प्रधान की दूरभि-संधि व संलिप्तता है, तदोपरान्त बाध्य होकर सम्बन्धित ग्राम प्रधान का भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जायेगा।
ज़िलाधिकारी ने आशा व्यक्त की है कि आप उपरोक्त कृत्य को रोकने हेतु माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारित की गई प्रक्रिया व्यवस्था में अपना आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। मुझे विश्वास है कि आपके इस दिशा में किये जाने वाले सार्थक प्रयास फलीभूत होगें।