सहसवान, बदायूं–तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। लेखपाल अपने मनमाने ढंग से कार्य करते है। तहसील में ज्यादातर लेखपालों के पास दो से तीन प्राइवेट कर्मचारी काम करते हैं। उनका वेतन कहाँ से आता है। हम बताते हैं, आय, जाति और सामान्य निवास पर रिपोर्ट लगाने के नाम पर सौ से पांच सौ रुपये तक लिए जाते हैं। इसीलिए लेखपाल अपने पोर्टल में आय, जाति और सामान्य निवास को लंबे समय तक रोक के रखते हैं। जो व्यक्ति पैसे दे देता उसका काम हो जाता है। जो पैसे नहीं देता उसका फॉर्म साक्ष्य अपूर्ण है लिखकर निरस्त कर दिया जाता है। लेखपाल कन्या सुमंगला फॉर्म जमा करने पर दो सौ से पांच सौ रुपये तक की उगाही करते हैं।प्रधानमंत्री आवास में जाँच लेखपालों के पास आती है। लेखपाल अपने प्राइवेट कर्मचारी को भेजकर जाँच के नाम पर पांच हजार से दस हजार रुपये तक की वसूली कराते हैं। जो व्यक्ति पैसे देने से मना करता तो उनका नाम आवास की सूची से हटाने की धमकी दी जाती है और विवश होकर उसको पैसे देनें पडते हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके वारिस अपना नाम खतौनी में दर्ज कराने के लिए तहसील के चक्कर काटते काटते थक जाते हैं लेकिन लेखपालों के कान पर कोई जूं नहीं रेंगती। जो व्यक्ति सुविधा शुल्क दे देता उसका काम हो जाता है। जबकि प्रावधान यह है तहसील से लेखपालों को अपने-अपने क्षेत्र दिए जाते हैं। लेखपालों का काम होता है कि अपने-अपने क्षेत्र में जाकर देखें कि उनके क्षेत्र में किस-किस व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है और जाँच करके मृतक के जो वारिस हों उनका नाम खतौनी में दर्ज कराये। मगर यहाँ सब कुछ उल्टा चल रहा है। यहाँ तो साहब पैसा चलता है। विरासत दर्ज कराने के नाम पर हजारों रुपये की अवैध वसूली की जाती है। जब तहसील दिवस लगता है तो सुबह से ही अपने-अपने लोगों को लगा दिया जाता है और देखा जाता है कि कौन शिकायतकर्ता किस विभाग और किस अधिकारी, कर्मचारी की शिकायत कर रहा है। जैसे ही जानकारी मिलती है उसको अपने पास बुलाकर उसका काम तुरन्त करने का भरोसा दिला दिया जाता है। जिससे उनकी शिकायत उच्च अधिकारियों तक न पहुंच सके। तहसील में भ्रष्टाचार को जड से खत्म करने के लिए गुप्त तरीके से जांच कराई जाए तब तहसील के भ्रष्ट लेखपालों से लेकर अन्य अधिकारी कर्मचारियों की गरदन पकड में आ जाऐगी।
BADAUN
DISTRICT CORRESPONDENT