सहसवान, (बदायूं) अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवम वशिष्ठ ने वीरेंद्र बनाम अरविंद आदि के मुकदमे की सुनवाई करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अपना लिखित स्पष्टीकरण 8 अगस्त 2022 तक अभियोजन कार्यालय के द्वारा न्यायालय में दाखिल करने के आदेश दिए हैं। स्पष्टीकरण
दाखिल न करने पर न्यायालय आदेश की अवमानना माना जायेगा और इस संबंध में उचित धाराओं में न्यायालय में कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवम वशिष्ठ ने परिवाद स0 766 सन 2021 धारा 323,324,326,506आई पी सी थाना जरीफनगर वीरेंद्र बनाम अरविंद आदि के मुकदमे में अभियुक्त महिपाल के जमानत प्रार्थना पत्र की सुनवाई के दौरान थाना जरीफनगर से अभियुक्त महिपाल का अपराधी इतिहास मंगाया गया था। मगर पुलिस ने अभियुक्त का अपराध इतिहास नहीं भेजा। सुनवाई के दौरान परिवादी वीरेंद्र के विद्वान अधिवक्ता ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि अभियुक्त महिपाल सजायाफ्ता है। उसे न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय बदायूं द्वारा वाद स0 885 सन 2008 सरकार बनाम ओमपाल आदि थाना जरीफनगर धारा 147,148,149,323,307,504,506आई पी सी में सजा हो चुकी है। जिसमें अभियुक्त महिपाल सजायाफ्ता है। इस पर न्यायालय द्वारा थाना जरीफनगर से अभियुक्त महिपाल का आपराधिक इतिहास 27-7-2022 को तलब किया गया। जिसमें थाना जरीफनगर पुलिस ने न्यायालय को अवगत कराया कि अभियुक्त महिपाल के खिलाफ इस परिवाद के अलावा अन्य कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं है। उक्त बाद में अभियुक्त की जमानत का घोर विरोध किया जाता है। इसके बाद अदालत द्वारा थाना जरीफनगर से पुनः सही आख्या तलब किए जाने हेतु आदेश दिया गया। थाना जरीफनगर पुलिस ने आख्या भेजे जाने के लिए एक दिन का समय मांगा। न्यायालय द्वारा 1 दिन का समय दिए जाने के बावजूद जरीफनगर पुलिस ने अदालत को पुनः अवगत कराया कि अभियुक्त महिपाल के विरुद्ध इस परिवाद के अतिरिक्त मुकदमा संख्या 284 सन 2020 धारा 323,324,325,504506 आई पी सी के अलावा थाना जरीफनगर पर अन्य अभियोग पंजीकृत होना नहीं बताया गया। जिस पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश की प्रति शपथ पत्र के साथ दाखिल की गई। जिसमें बताया गया की अभियुक्त महिपाल की उच्च न्यायालय इलाहाबाद से अपील मंजूर हो चुकी है और मुकदमा विचाराधीन है। अदालत में हाजिर अभियुक्त महिपाल ने स्वयं ही स्वीकार किया है कि वह उपरोक्त मुकदमा में सजायाफ्ता है। जरीफनगर पुलिस द्वारा भेजी गई आख्या का न्यायालय द्वारा परिशीलन करने पर पाया कि जो आख्या जरीफनगर पुलिस द्वारा न्यायालय में भेजी गई है। उक्त आख्या न थाने से सीन की गई है और न पुलिस क्षेत्राधिकारी सहसवान द्वारा अग्रसारित है। और न थाना अध्यक्ष जरीफनगर द्वारा प्रमाणित है। ऐसी परिस्थिति में जब न्यायालय में अभियुक्त अधिवक्ता द्वारा यह स्वीकार किया जाना कि उपरोक्त मुकदमा में सजायाफ्ता है। परंतु उसके पश्चात भी थाना जरीफनगर पुलिस द्वारा न्यायालय को यह बताना कि अभियुक्त के खिलाफ कोई अभियोग पंजीकृत नहीं है। पुलिस का यह आचरण अभियुक्त के अपराधिक इतिहास में उसका नाम अंकित नहीं करना घोर निंदनीय है एवं आपत्तिजनक है। यह लापरवाही बदायूं पुलिस की संपूर्ण कार्य शैली पर संदेह उत्पन्न करती है। पूर्व में भी उपरोक्त मुकदमा के संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बदायूं को गैर जमानती वारंट तामील कराने हेतु 13-7-2022 को पत्राचार किया जा चुका है मगर अभी तक एक अभियुक्त तालाब होकर न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाया। न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बदायूं का न्यायालय में लंबित मुकदमो के प्रति यह रवैया घोर निंदनीय एवं आपत्तिजनक है। न्यायालय इसकी घोर भर्त्सना करता है। ऐसा प्रतीत होता है। की पुलिस को मुकदमा में तामील कराने से कोई मतलब नहीं है। पुलिस द्वारा प्रस्तुत संबंधित आपराधिक इतिहास त्रुटि पूर्ण नजर आता है। इस संबंध में सहायक अभियोजन अधिकारी चार्वाक आजाद ने अपना पक्ष रखने के लिए अदालत से 30 मिनट का समय मांगा। जिस पर उन्होंने अपना अभिमत व्यक्त करते हुए कहा की थाना जरीफनगर से प्राप्त आपराधिक इतिहास और पत्रावली पर उपलब्ध आपराधिक इतिहास को पढ़कर असमंजस में हूं। और ऐसी स्थिति में न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर पाना संभव नहीं है। जिस पर अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवम वशिष्ठ ने अभियुक्त महिपाल के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बदायूं को अभियुक्त महिपाल के संबंध में न्यायालय में दाखिल पत्रावलियों के संबंध में अपना लिखित स्पष्टीकरण अभियोजन कार्यालय के द्वारा न्यायालय में 8 अगस्त 2022 तक दाखिल करने का आदेश दिया है। स्पष्टीकरण दाखिल न करने पर न्यायालय आदेश की अवहेलना माना जाएगा। व इस संबंध में उचित धाराओं में न्यायालय में कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
BADAUN
DISTRICT CORRESPONDENT