CRS/LUCKNOW| तबादलों को लेकर हुई किरकिरी के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अहम फैसला लिया है। उन्होंने यह स्पष्ट क्र दिया है की अब उनकी मंजूरी के बिना तबादले नहीं हो सकेंगे। इसके संबंध में यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने मंगलवार को शासनादेश जारी किया है। इसके तहत 15 जून को सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर को लेकर एक नीति जारी हुई थी। इसके तहत विभागाध्यक्षों को मंत्री की अनुमति से 30 जून तक तबादले का अधिकार दिया गया था और यह समय सीमा अब समाप्त हो गई है।
आपको बताते चलें की बीते दिनों जून माह में स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों को लेकर काफी किरकिरी हुई थी सूबे के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने नाराज़गी जताते हुए कहा था की ट्रांसफर नीति का पालन नही हुआ है। यहीं नहीं बृजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद की अगुवाई में हुए तबादलों पर नाराज़गी जताते हुए पत्र लिखा था। इस पत्र में बृजेश पाठक ने तबादलों में तमाम तरह की गड़बड़ियां सामने आने की बात कही थी और इस संबंध में अमित मोहन प्रसाद से स्पष्टीकरण मांगा था। मगर अमित मोहन प्रसाद ने उप मुख्यमंत्री के लिखे पत्र का कोई जवाब नहीं दिया। जिसके चलते इस पुरे प्रकरण ने तूल पकड़ ली जिसके बाद पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने इस मामले में पूछताछ कर ली। इसी प्रकार लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में हुए तबादलों की गड़बड़ियों की जांच करने के लिए तीन आईएएस अफसरों की कमेटी बनाई गई थी। जिसमे सामने निकल आया की तीन साल पहले मर चुके जूनियर इंजीनियर घनश्याम दास का तबादला झांसी कर दिया गया और इसी प्रकार एक शख्स राजकुमार का तबादला इटावा से ललितपुर किया गया था। बाद में पता चला कि इस नाम का कोई शख्स विभाग में है ही नहीं।
मंगलवार को जारी हुए नए शासनादेश में कहा गया है कि स्थानांतरण सत्र की अवधि खत्म होने के बाद समूह क, ख, ग और घ के कर्मचारियों के सभी प्रकार के ट्रांसफर के लिए सीएम योगी से अनुमोदन प्राप्त करना ज़रुरी होगा,साथ ही इस आदेश का कड़ाई से पालन करने का भी निर्देश दिया गया है।