- धरातल पर सुरक्षित और सरंक्षित करने से ही पर्यावरण बचाया जा सकता है!
(CRS इमरान सागर की क़लम से)
आज 5 जून से 16 जून तक, विश्व भर में पर्यावर दिवस मनाया जा रहा है, पर्यावरण सरंक्षण और सुरक्षित रखने के लिए विश्व भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाने आरंभ हो गए तथा पर्यावरण पर गोष्टियाँ भी होना भी तय है! इन 10 दिनो में पर्यावण दिवस के चलते वृक्षा रोपड़ के नाम, सरकार हर वर्ष करोड़ो खर्च करती है परन्तु इसके बाद लगाए गए वृक्षो की कभी समीक्षा नही होती कि जिससे पता चल सके कि पर्यावरण के नाम पर वृक्षा रोपड़ कर जो पौधे हमने लगाए हैं, उनमें से कितने मौजूद हैं और कितने खत्म हो गए!
विश्व पर्यावरण दिवस, को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी! इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था! 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया!
पर्यावरण को सुधारने हेतु यह दिवस महत्वपूर्ण है जिसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता हैं! लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है! इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है!
स्वच्छ पर्यावरण हमारी जीवनशैली में सबसे अहम है, पर्यावरण स्वच्छ रहने से जहाँ स्वच्छ वातावरण को जन्म मिलता है जिससे हमारी सांसे पूरी तरह स्वच्छ रहती है और हमारा जीवन स्वास्थ्य बना रहता है तो वहीं पर्यावरण के स्वच्छ रहने से समय पर मानसून मिलता है जिससे समय पर स्वास्थ्य फसलो की पैदाबार होती है परन्तु इस वर्ष में एक बार पर्यावरण दिवस मना कर हम स्वंय में भले ही समाज में कद ऊँजा करना महसूस करते हो परन्तु इसके विपरीत हम लगाए गए पौधो का कदापि संरक्षित और सुरक्षित तो नही कर पा रहे है बल्कि उल्टा हरे भरे बागो को अपनी जरुरते पूरा करने के लए लगातार काट रहे हैं!
वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था! इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया! इसके केन्द्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है! इसमें हर साल 143 से अधिक देश भाग लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं!