CRS NEWS रायबरेली: खबर हरियाणा से – हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी माहौल गरम है, लेकिन इस बार बीजेपी की रणनीति में एक खास बदलाव देखने को मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पार्टी की चुनावी गतिविधियों में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या बीजेपी खट्टर से दूरी बना रही है?
पीएम मोदी की सभाओं से खट्टर गायब
हरियाणा में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो चुनावी सभाएं हो चुकी हैं, लेकिन इन दोनों सभाओं के मंच पर मनोहर लाल खट्टर नजर नहीं आए। मंच से उनकी अनुपस्थिति ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। न सिर्फ पीएम मोदी की सभाओं से, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैलियों से भी खट्टर गायब रहे हैं। इसके अलावा, बीजेपी के पोस्टरों और प्रचार सामग्री से भी उनका चेहरा हटा दिया गया है, जिससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि पार्टी उन्हें चुनावी अभियानों से दूर रखना चाहती है।
क्या पार्टी बचना चाहती है सत्ता विरोधी लहर से?
सूत्रों की मानें तो खट्टर सरकार के कार्यकाल में लिए गए कुछ फैसलों और जनता में उनके प्रति नाराजगी के चलते बीजेपी अब उन्हें सामने नहीं रखना चाहती। माना जा रहा है कि पार्टी सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए यह रणनीति अपना रही है। खट्टर के कुछ विवादास्पद बयानों और उनके कार्यकाल में हुए मुद्दों पर जनता में असंतोष के चलते पार्टी उन्हें चुनावी मंच से दूर रख रही है।
खट्टर के बयानों से बढ़ी परेशानी
हाल ही में खट्टर के कुछ बयानों ने पार्टी के लिए परेशानी बढ़ा दी है। एक बयान में उन्होंने कहा था कि शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे लोग “किसानों के नाम पर एक मुखौटा” हैं, जिससे किसानों के बीच नाराजगी बढ़ी। इसके अलावा, हिसार में एक कार्यक्रम के दौरान जब एक युवक ने बीजेपी की हार की संभावना जताई, तो खट्टर ने नाराज होकर तीखी प्रतिक्रिया दी। इन घटनाओं ने पार्टी को खट्टर की छवि को लेकर चिंतित कर दिया है।
बीजेपी की नई रणनीति
बीजेपी अब खट्टर की छवि को पीछे रखकर चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है। पार्टी का फोकस अब प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे प्रमुख नेताओं पर है, ताकि चुनावी मुद्दों को खट्टर की छवि से दूर रखा जा सके। आगामी 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह रणनीति पार्टी के लिए कितनी कारगर साबित होती है।
CORRESPONDENT
RAEBARELI