अतिक्रमण का हटाना या फिर पीर गैब तालाब सौन्द्रीकरण में रोड़ा!
(CRS इमरान सागर की क़लम से)
तिलहर/शाहजहाँपुर-बड़ी मशक्कतो के बाद, पीरगैब तालाब सौन्द्रीकरण के लिए प्रशासनिक स्तर से युद्ध स्तर पर काम होता नज़र आया! पैमाईश के बाद दरगाह पीरगैब तक जाने के लिए जहाँ पैदल पथ सड़क का बनना जरुरी बताया गया तो वहीं फिर से तालाब के पानी को स्थानीय नालियों द्वारा गंदा करने से रोकने के लिए चहु ओर नाले का निर्माण होना तय हो सका परन्तु इस सभी कार्य में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर, तलाब के आस पास का अतिक्रमण सामने आया!
यह कदापि गलत नही कि तालाब के आस पास से अतिक्रमण हट जाना चाहिए लेकिन यदि वर्तमान समय में पीरगैब तालाब के पास, अतिक्रमण दिखाई ही दे रहा है तो अतिक्रमण पालिका की गाटा भूमि संख्या 113 मौजा उम्मरपुर स्थित केलरगंज में पालिका भूमि 802/198 व गाटा संख्या 1 पोटरगंज ग्राम मौजा मौजम पुर, गाटा संख्या 26, 26/1, 27, 27/1 28, 28/1 तक, 48, 49, 51,51,52,53,45,54,55 उम्मरपुर व गाटा संख्या 3 बिरियागंज मौजा मौजमपुर सड़क 2 जरीब 20 मीटर भूमि-यों के गाटा भूमि संख्या 1 पुरानी गल्ला मंण्डी पोटरगंज भी दिखाई देना चाहिए, परन्तु इतने बड़े पैमाने पर हुआ अतिक्रमण बीते 3 दशक से दखाई नही दिया, लेकिन सौन्द्रीकरण कार्य होते ही पीरगैब तालाब के आसपास का अतिक्रमण नज़र आने लगा!
हालांकि तालाब सौन्द्रीकरण पहली बार चर्चा का विषय नही है क्यूंकि इससे पूर्व दो बार बजट मांगने, आने और तालाब सौन्द्रीकरण काफी चर्चा में रह चुका है! तालाब का सौन्द्रीकर होने से जहाँ नगर सौन्द्रीकरण में चार चाँद लगने की संभावना बताई जा रही है लेकिन तालाब के इस सौन्द्री करण में सबसे बड़ा रोड़ा बन कर यह सामने आ रहा है कि अतिक्रमण पहले हटाया जाय, और इसकी मांग प्रशासनिक स्तर पर तो बिल्कुल नही लग रही!
तालाब के आस पास, अतिक्रमण न तो हाल ही में किया गया अतिक्रमण है और न ही अस्थाई है, लगभग 4 दशक पूर्व से बढ़े अतिक्रमण ने 105 बीघा तालाब को समेट कर काफी छोटा कर दिया जो वर्तमान में नज़र आ रहा है! तालाब के बचे हुए हिस्से या फिर फिलहाल नज़र आने वाले तालाब को सुरक्षित करने के मद्दे नज़र प्रशासन की उक्त कार्यवाही प्रशंसनीय हो सकती है परन्तु गैर सरकारी संघठनो तथा सत्ता के तथाकथित स्थानीय नेताओं द्वारा प्रशासन पर जबरन अतिक्रमण हटाने का दबाव, तालाब सौन्द्रीकरण में रोड़ा बन कर सामने आ गया!
नगर में सरकारी(नपपति) सम्पत्तियों पर यदि अतिक्रमण की बात करें तो भारतीय जनता की इस इमानदार सरकार में पालिका सम्पत्तियों को सूचिबध कराए जाने पर, नगर की अनेको महान हस्तियाँ अतिक्रमण माफिया नज़र आने लगेगी क्यूंकि समझा जाता है कि मिडिल या लोअर क्लास द्वारा किया जाने वाला अतिक्रमण जहाँ स्थानीय प्रशासन के एक इशारे पर ध्वस्त कराया जाता रहा तो वहीं अनेकोबार प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद भी नालो और पालिका प्रशासन एंव शत्रु सम्पत्तियों को नगर के तमामअतिक्रमणकारियों ने बड़ी बड़ी इमारते, व्यवसायिक केन्द्रो का निर्माण करा रखा है या फिर भूखंण्ड बना कर दूसरो को बेच दिया!
सूत्र बताते हैं कि पीरगैब तालाब के आस पास अतिक्रमण हटाना अहम नही बल्कि व्यक्ति वर्ग विशेषो को बेघर करने का जुनून और सौन्द्री करण को रोक कर, सत्ता की चाटुकारिता का नाजायज़ फायदा उठाते हुए, आने वाले निकाय चुनाव को पक्ष में करने के साथ ही सौन्द्री करण के बजट से कुछ प्रतिशत कमीशन की लालच, पीरगैब तालाब सौन्द्रीकरण में रोड़ा बन कर सामने आ रही है!
नोट-विशेष सूत्रीय जानकारी!