कोराना काल के बाद, रेहड़ी पटरी वालो को फिर लग सकता है झटका!
अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीब की रोजी पर फिर चलेगा चाबुक!
(CRS इमरान साग़र की क़लम से)
तिलहर/शाहजहाँपुर-करोना काल की त्रसदी से, बाुश्किल उबरने का प्रयास कर रहे रेहड़ी, पटरी या अस्थाई तौर पर दुकानो के बाहर समान रख लेने वाले छोटे दुकानदार, एक बार फिर अतिक्रमण हटाओ अभियान का शिकार हो सकते हैं! पूर्व के लगभग हर अभियान की तरह इस बार भी अतिक्रमण हटाने के नाम गरीब की रोटी रोजी पर ही चाबुक चलने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता! व्यापारियों हुई एक समन्व्य सभी सभा के दौरान, प्रशासन ने भले ही किसी को बोलने या सलाह देने का मौका दिया हो परन्तु अंतिम आदेश यही कि अस्थाई अतिक्रमण हटाया जाएगा जिसका लगातार एलान जारी है!
इसमें रत्तीभर शक़ नही कि नगर सौन्द्रीकरण में, अतिक्रमण एक बहुत बड़ी बांधा के रूप में सामने आता है! एक ओर जहाँ स्थानीय स्तर पर राजनीति की आड़ में स्वंय के प्रचार के लिए क्षेत्र के विकास की मांग की जाती है तो वहीं अतिक्रमणकारियों के रूप में वोट बैंक को सड़को और पटरियों पर अतिक्रमण को बढ़ावा देने में भुमिका निभाई जाती है!
जिस तरह से स्वंय की सुन्दरता के लिए, नहा धोकर चेहरे और शरीर की गन्दगी हटाना जरुरी है, ठीक उसी तरह नगर के सुन्दर और विकास के लिए अतिक्रमण रूपी गन्दगी हटना भी जरूरी माना गया है परन्तु इसके जानने के बाद भी अतिक्रमण हटने के बजाय लगातार बढ़ता नज़र आता है! इस अतिक्रमण को बढ़ाने सिर्फ और सिर्फ रेहड़ी पटरी या फल फ्रूट आदि ठेले वालो या दुकानो के बाहर पटरी पर समान लगाने वालो को अकेले दोषी नही ठहराया जा सकता, कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर प्रशासन की लापरवाही का दोष कम नही है जो अतिक्रमण के नाम पर नेताओ़ का वोट बैंक तैयार करने में मदद करता है!
माना जाता है कि समस्या फल फ्रूट व सब्जी आदि के ठेलो से नही बल्कि जाम की समस्या वे ई-रिक्शा बढ़ा रहे जिन्हे पालिका प्रशासन न तो आज तक स्टैंड दे पाया और न ही सभी ई- रिक्शा पंजीकृत कर पाया, इसमें भी पालिका प्रशासन ई-रिक्शा पर दोष मढ़ते हुए शासन के दिशानिर्दोशो में अपना पल्ला झाड़ता लेता है! जबकि नगर की सड़को और पटरियों पर लगने वाली रेहड़ियों के लिए भी पालिका प्रशासन आज तक भूमि नही दे पाया भले सरकारी सम्पत्तियों पर खुलेआम अबैध कब्जे होते रहे हो!
माना यह भी जाता है कि दुकानो के बाहर लगने वाला सामान या फिर सड़क किनारे लगने वाली रेहड़ियों से स्थाई अतिक्रमण होना तो नही कहा जा सकता परन्तु जब भी अतिक्रमण हटाने की बात या अभियान चलाया जाता है तो चिन्हित स्थाई अतिक्रमण को, लम्बित मुकदमों का नाम देकर बचाया जाता है और रेहड़ी पटरी, दुकानो के बाहर सामान रख कर बेचने वाले छोटे से दुकानदारो का अस्थाई तौर पर रखे सामान को फेंक या जब्त बुल्डोजर(GCB) का खौफ दिखाने परम्परा लगातार देखने को मिलती है!
सूत्र बताते है कि तिलहर नगर में, नगर पालिका की अनेको गाटा भूमियों पर स्थाई अतिक्रमण और अबैध कब्जें हैं लेकिन शासन प्रशासन कभी उस पर कार्यवाही उसे अबैध कब्जो से स्थाई अतिक्रमण हटाने का प्रयास नही करता! अपनी भूमि को अबैध कब्जा मुक्त स्थाई अतिक्रमण मुक्ता करा कर अस्थाई बाजार के रूप में बदल दे प्शान की बड़ी आमदनी का अच्छा जरिया बन सकती हे लेकिन चन्द कथित नेताओं के वोट बैंक की जी हुजूरी में लगा पालिका प्रशासन कथित जिम्मेदार अपनी तिजोरियाँ भरने काम करने में लगे है़!