साजिद प्रतापगढ़ी के सम्मान में एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया
सलोन ,रायबरेली
बज़्मे हयाते अदब के ज़ेरे एहतेमाम काशाना ए हयात किठावां में ख़ुर्शीद अंबर प्रतापगढ़ी , शफ़ीक़ हसन मालेगांव और साजिद प्रतापगढ़ी के सम्मान में एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता ख़ुर्शीद अंबर प्रतापगढ़ी ने की और संचालन आलिम समर ने किया । ख़ुर्शीद अंबर प्रतापगढ़ी- बहुत दिनों से कोई बोझ दिल पे रखा था ,हमारे दर्द को अच्छा है गा दिया तुमने। क़ासिम हुनर सलोनी -कहां थी वस्ल की लज़्ज़त नसीब में मेरे, यही बहुत है जो जलवा दिखा दिया तुमने ।डॉक्टर अनुज नागेंद्र- लगे थे ज़ख़्म जो सीने पे सब उभर आए ,सुना के अपनी कहानी रुला दिया तुमने। शफ़ीक़ हसन वालेगांव- लहू जिगर का पिलाकर जिन्हें जवान किया, वो बेटे बाप से कहते हैं क्या दिया तुमने ।हाशिम उमर -बिखेरने लगा दुनिया में रौशनी मैं भी, दिया बना के मुझे जब जला दिया तुमने। नफ़ीस अख़्तर सलोनी- तुम्हारी याद में अक्सर बहाता हूं आंसू, मगर मज़ाक़ में उसको उड़ा दिया तुमने ।आमिर क़मर- अंधेरी राह में जो रौशनी लुटाता था, उसी चराग़ को बेजा बुझा दिया तुमने।शब्बीर हैदर -भजन की और अज़ानों की आती थी आवाज़, ये हुस्न मेरे वतन का गंवा दिया तुमने। साजिद प्रतापगढ़ी- मुसाफ़िरों की तरह दर बदर भटकता था, ख़ुदा के फज़्ल से रस्ता दिखा दिया तुमने ।यासिर नज़र -जो दिल में आग थी उसको ज़बान पर लाकर, हमारे दिल का नशेमन जला दिया तुमने। शान सलोनी -सुनाके सबको मोहब्बत की दास्तां अपनी, शगुफ़्ता फूलों को बेजा रुला दिया तुमने ।अम्मार सहर -हमेशा कहते हो दुनिया ने क्या दिया मुझको ,कभी ये सोचो कि दुनिया को क्या दिया तुमने? तय्यार ज़फ़र – ज़रा सा कर दिया एहसान और गिना डाला, ये अपने ज़र्फ़ का मुझको पता दिया तुमने। इसके अलावा आचार्य अनीस देहाती ,डॉक्टर बच्चा बाबू वर्मा संगीत प्रवक्ता ,आलिम समर, अतीक़ प्रतापगढ़ी ने अपनी ग़ज़लें सुनाईं ।इस मौक़े पर इरशाद राईनी महाराजा अचार, नौशाद अंसारी ,सुरेश ,क़ैस, नदीम शाहबाज़ सेबू, वक़ार, बिलाल ,ज़हीर, रफ़ीक़, मुबीन तौसीफ़ के अलावा बहुत से श्रोता मौजूद रहे ।आख़िर में नौशाद अंसारी ने शायरों और श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया।
RAEBARELI(SALON)
TAHSIL CORRESPONDENT