ऊँचाहार,रायबरेली।एनटीपीसी परियोजना में हुए राख घोटाले में डीजीएम तरित बंगाल व संविदा कर्मी संजय यादव समेत कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता होने की फेहरिस्त तैयार है। जब इसकी पड़ताल की गई तो मामला परत दर परत खुलने लगा किस तरह से मुफ्त राख और ओवरलोडिंग करके काले धन का उपार्जन किया गया और फिर उसमें बन्दर बाँट किया गया।
विदित हो कि राख यूटिलाइजेशन विभाग में डीजीएम तरित बंगाल व संविदा कर्मी संजय यादव समेत दीगर अफसरों ने फर्जी फर्म को मुफ्त राख देकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करके काला धन अर्जित किया है। बताया जाता कि एनटीपीसी के कई अधिकारियों का पैसा इस विभाग में लगा हुआ है वह ठेकेदारों के साथ मिलकर जहाँ पार्टनरशिप का कार्य कर रहे हैं वही राख ढोने वाली ट्रकों में कई अधिकारियों का पैसा लगा हुआ है। सूत्रों की माने तो अपना माफ़िक मनमाना कार्य कराने की मंशा से मास्टरमाइंड संविदा कर्मी संजय यादव ने इसी विभाग में अपने रिश्तेदारों और मित्रों को नौकरी दिलवा दी और अब उनसे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और धांधली का कार्य कराता है।जानकारी के मुताबिक बीते 2 वर्षों में फ्री की राख 19 कंपनियों को दी जा रही थी जिनमें से कुछ कंपनियों को छोड़कर बाकी सारी कंपनियां केवल कागज तक सीमित है। जमीन पर इनका कोई अस्तित्व नहीं है ।अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर लाखों करोड़ों की एनटीपीसी की राख डीजीएम साहब और संविदा कर्मी संजय यादव ने कहां गुम कर दी। क्या किसी के पास इसकी कोई जानकारी है? क्या इसका कोई हिसाब किताब है? क्या फर्जी फर्मों को बाँटी गई मुफ्त राख का लेखा जोखा है? ऐसे दर्जनों सवाल हैं जो डीजीएम तरित बंगाल और संविदा कर्मी संजय यादव समेत उनके साथ संलिप्त आला अधिकारियों को सीधे तौर पर कटघरे में लाकर खड़ा करते नजर आ रही है। बताया जाता है कि मामले जाँच प्रचलित है। अब जाँच कब तक चलेगी यह किसी को भी नहीं पता। लेकिन एक बात तो तय है यदि जाँच पारदर्शिता और ईमानदारी से हुई तो जाँच की आँच में डीजीएम तरित बंगाल,संविदा कर्मी संजय यादव व घोटाले में संलिप्त आला अधिकारी जरूर आयेंगे।
एनटीपीसी की विजिलेंस जहां जाँच शुरू होने के बाद मार्च माह से इन फर्मों को फ्री की राख देने का कार्य बंद कर दिया गया है। बताते हैं कि इस मामले की शिकायत को लेकर आवाम दस्ता ऊर्जा मंत्रालय के ऊर्जा सचिव से मिलने के लिए तैयार है और कभी मिल सकते हैं। जानकारी देते हुए सूत्र ने बताया की यूग इंडस्ट्रीज, कटारिया ईकोटेक प्राइवेट लिमिटेड ऐन्धा ब्रिक कंपनी ,बक्सी ऐश टेक,गणपति एडवाइजरी ब्रिक डिविजन, एसएन इंडस्ट्रीज, एस एन ट्रेडर्स ,शंभू ब्रिक फील्ड, पीकेएस फार्म, कृष्णा इंटरप्राइजेज ,ओम शिव शक्ति ,एडीके कंस्ट्रक्शन, जय माता इंटरप्राइजेज, जायरीन इंटरप्राइजेज, गौतम बिल्डिंग मटेरियल ,पजास इंजीनियरिंग ,देव एंड ब्रदर्स तथा पवन पुत्र इंडस्ट्रीज को फ्री की राख ब्रिक बनाने के लिए आवंटित किया जाता था। परंतु इनमें से अधिकांश कंपनियों का कोई ऐसा कार्य नहीं चल रहा है बल्कि इन कंपनियों को मिलने वाली राख को बेचकर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति और काली कमाई की गई है। यदि इसकी गहराई से जांच की जाएगी तो इसमें शामिल एक एक चेहरे सामने आ जाएंगे हालांकि उम्मीद की जा रही है ऊर्जा विभाग इसकी जांच के लिए गंभीरता से विचार कर रहा है ऊर्जा मंत्रालय को क्षेत्र के कई लोगों ने पत्र भेजकर इस घपले की जानकारी दी है।
RAEBARELI
CORRESPONDENT