ऊँँचाहार सीएचसी मे अव्यवस्थाओं का अंबार जिम्मेदार मौन
ऊँँचाहार-नये अधीक्षक की तैनाती के बाद पिछले आठ महीने में सीएचसी में भ्र्ष्टाचार व अव्यवस्थाओं का अंबार देखने को मिल रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।सीएचसी अधीक्षक व स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी के कारनामों की शिकायत क़ई बार क्षेत्रीय लोगों द्वारा उच्चाधिकारियों से की गई लेकिन नतीजा शून्य रहा।
गौरतलब है कि 9 माह पूर्व यानी अक्टूबर के महीने में तत्कालीन सीएचसी अधीक्षक डॉ एम के शर्मा द्वारा सीएचसी की व्यवस्था को चार चांद लगाने की कवायद शुरू की गई थी, जिसमें तत्कालीन अधीक्षक द्वारा इमरजेंसी कक्ष का निर्माण कुछ करीबियों के सहयोग से कराया गया था ताकि मरीजों को समुचित इलाज मिल सके, इसके अलावा भी उन्होंने साफसफाई की व्यवस्था से लेकर बिल्डिंग मरम्मत का कार्य भी शुरू कराया था लेकिन नवम्बर माह में अचानक हुई एक घटना के कारण उनका तबादला रोहनिया सीएचसी में कर दिया गया और सेटिंग गेटिंग के चलते रसूखदार अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज कुमार शुक्ल को सीएचसी की बागडोर दी गई, तभी से सीएचसी की सुधर रही व्यवस्थाओं पर विराम लग गया और अव्यस्थाओं ने अपने पांव पसार लिये।वर्तमान में भीषण गर्मी के बीच चाहे प्रसूता हो या अन्य कोई मरीज या फिर स्टाफ किसी को पंखे की हवा नसीब नहीं होती, परिसर में खड़ा जनरेटर महज सफेद हाथी साबित हो रहा है, शौचालयों से लेकर वार्ड तक मे गंदगी का अंबार रहता है, पानी पीने के लिए लगा वाटर कूलर महज शो पीस बनकर रह गया है।
वहीं बात की जाये भ्रष्टाचार की तो सीएचसी में प्रसव कराने वाली महिलाओं को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है बताते हैं कि प्रसव के दौरान एक मरीज को दवा समेत करीबन तीन हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।यही नहीं आरोप ये भी है कि सीएचसी के रख रखाव के लिए आने वाले भारी भरकम बजट को अधीक्षक व स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी चट कर जाते है ।
क़ई बार क्षेत्रीय लोगों द्वारा इस बात की शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई लेकिन अधिकारियों ने गोलमोल करके शिकायतकर्ताओं को घुमा दिया।
ज्ञात है कि शुक्रवार को आशा बहुओं ने भी इसी मामले को लेकर क्लस्टर बैठक के दौरान हंगामा किया था।