मानव जीवन में क्यूं घट रही गर्मी सर्दी बरदास्त करने की क्षमता!
(CRS इमरान साग़र की क़लम से)
उफ इस साल तो गर्मी ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए! पसीना रुकने का नाम नही ले रहा! विद्युत विभाग बिजली कटौती करके और परेशान कप रहा है और बिल भरपूर भेज कर जबरन जमा कराता है आदि आदि बहुस से स्लोगन ऐसे हैं जिन्हे लिखना कम नही होगा लेकिन पेज जरुर भर जाएगे!
इस साल क्या, गर्मी तो पिछले वर्ष भी इतनी ही थी लेकिन हर आने वाले वर्ष में गर्मी अधिक लग कर सारे पछले रिकॉर्ड तोड़ती है ऐसा बिल्कुल भी नही! दोष गर्मी के रिकार्ड तोड़ने पर नही बल्कि मानव जीवन की बरदास्त क्षमता हर वर्ष कुछ न कुछ स्तर पर घटती जा रही है! सच़ नही है लेकिन यही सच़ है कि हम कभी अपने कर्मो और हालातो पर नज़र नही रखते!
बिजली से चलने वाले वे उपकरण जिन्हे AC कूलर और पंखो का नाम दिया जाता है, उनके लगातार चलने से भी गर्म वातावरण में रत्तीभर फर्क नही पड़ता जो कि हरे भरे घने छायादार वृक्षो से कई डिग्री सेस्सियस तक तापमान कम रहता रहा लेकिन जब हम ही उसे उजाड़ने में अहम भुमिका निभा रहे है़ं तो फिर ज्यादा गर्मी होने की शिकायत कैसी और किस से, यह निरुत्तर प्रश्न है!
हमारे कर्मो के कारण पैदा हुए हालात, गर्मी बरदास्त करने की क्षमता को ही कम नही कर रहे बल्कि हमारी उम्र को भी लगातार घटा रहे हैं! हमने हरे भरे वृक्षो को ही नही काटा बल्कि घने जंगलो को भी बहुत नुकसान पहुंचाया है और साथ ही बची खुची खेती होने वाली फसलो को हाईब्रड(तत्काल) पैदा करने की तकनीक का प्रयोग कर उसे खाने में सबसे पहले प्रयोग करना सीख लिया जो कि हमारी इमेयूनिटी को पूरी तरह दिन वा दिन कमजोर कर हमसे गर्मी ही क्या सर्दी भी झेलनी की ताकत छीन रहा है!
सच़ तो यह है कि पहले के मुकाबिले हमे कई गुना अधिक बिजली की मिल रही है और हमारे पास सारी वे सुख सुविधाएं भी है परन्तु हमारे यदि नही है तो मौसम को बरदास्त करने की क्षमता नही है और जो कुछ बची भी है उसे भी हमारे कर्म ही लगातार घटाने पर लगे हैं!