CRS NEWS रायबरेली, 28 अगस्त 2024 उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली तरुण सक्सेना के दिशा-निर्देशन में मंगलवार को जिला कारागार, रायबरेली में निरुद्ध बन्दियों की शिक्षा एवं व्यवसाय के सम्बन्ध में विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन जिला कारागार में किया गया। उक्त शिविर में बंदियों की शिक्षा एवं व्यवसाय विषय पर विस्तृत चर्चा की गयी। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनुपम शौर्य के द्वारा इन्दिरा गाँधी ओपन विश्वविद्यालय के माध्यम से संचालित होने वाली शिक्षा एवं व्यवसाय के बारे में बन्दियों को जागरुक किया गया तथा सर्वप्रथम सन् 1835 में लार्ड मैकाले द्वारा शिक्षा की नीति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। इन्दिरा गाँधी ओपन विश्वविद्यालय के माध्यम से भारत में कुल 52 केन्द्र है। बन्दियों को उदाहरण के तौर पर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बन्दियों की शिक्षा व व्यवसाय की डिग्री करने व डिप्लोमा करने के लिए इच्छुक बन्दियों को प्रोत्साहित किया गया। बन्दियों को बताया गया तिहाड़ जेल में शिक्षा व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि शिक्षित कैदी स्वेच्छा से कम शिक्षित कैदियों को पढ़ाते है। इसके अतिरिक्त बन्दियों को हाईस्कूल, इण्टरमीडिएड व स्नातक एवं अन्य व्यवसायिक शिक्षा के सम्बन्ध में जागरुक किया गया। इन्दिरा गाँधी ओपेन विश्वविद्यालय से आये प्रवक्ता डा0 निलाशुँ अग्रवाल के द्वारा बन्दियों की शिक्षा व व्यवसाय विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी। डा0 निलाशुँ अग्रवाल के द्वारा बन्दियों को महात्मा गाँधी, डा0 भीमराव अम्बेडकर की जीवनी व उनकी लिखी पुस्तकों को पढ़ने हेतु कहा गया। डा0 अरविन्द सिंह द्वारा बन्दियों को बताया गया कि कैदी जिनका आचरण अच्छा है, अन्य बन्दियों को शिक्षा प्रदान करने में जेल प्रशासन की मदद कर सकते है। बताया गया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का वयस्क शिक्षा विभाग शिक्षित बन्दियों को प्रशिक्षण दे रहा है ताकि वे कम पढ़े-लिखे और निरक्षर बन्दियों को पढ़ा सकें कैदियों के लिए उन्नत शिक्षा के अवसर उपलब्ध है, ताकि यदि वे उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते है तो वे इग्नू आदि के माध्यम से ऐसा कर सकें। कैदियों के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। डा0 अग्रवाल द्वारा बन्दियों को डिप्लोमा के बारे में जैसे-इलेक्ट्रीशियन डिप्लोमा, डेयरी व्यवसाय, परशियन लैंग्वेज और रशियन लैंग्वेज हाईस्कूल, इण्टरमीडियेड पास बच्चे सीख कर अपना स्वयं का व्यवसाय या नौकरी कर सकते है, तथा कक्षा 8 व हाईस्कूल पास बन्दी मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन व ग्रामीण विकास में संचालित योजनाओं के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गयी। जिस बन्दी को पेन्टिंग, गीत-संगीत, कलाकारी, अनुवादक कार्य में रुचि हो उनके कौशल विकास हेतु जिला कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवायें द्वारा विभिन्न योजनाएँ समय-समय पर चलायी जाती है। इस अवसर पर प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारी सृष्टि शुक्ला, सृष्टि सिंह व विनय शील, जेलर हिमाँशु रौतेला, चीफ लीगल एड डिफेन्स काउन्सिंल राजकुमार सिंह, शिखा अग्रवाल परामर्शदाता, स्टाफ असिस्टेन्ट चन्द्र शर्मा, जेल चिकित्साधिकारी सुनील अग्रवाल व पराविधिक स्वयं सेवक पवन कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
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