CRS(बरेली)| फर्ज़ी डिग्री के सहारे अगर कोई सरकारी नौकरी में दाखिल हो जाए तो यह सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर देता है और ऐसे कई मामले आपने सुने भी होंगे| लेकिन हैरानी की बात तो तब होती है जब कोई ग़ैर मुल्क का सरकारी नौकरी करने लगे और वो भी बिना किसी जानकारी के| ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला उत्तरप्रदेश के बरेली और रामपुर ज़िले से सामने आया है| जानकारी के मुताबिक, यहां एक महिला और उसकी बेटी अपनी पाकिस्तान की नागरिकता छिपाकर शिक्षक बन गई| मगर जब दोनों महिलाओं का सच सामने आया, तो खुफिया तंत्र में हलचल मच गई| और खुफिया तंत्र में हलचल क्यों न मचे, सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े होने वाला मामला है| आपको बता दें की यह मामला तीन दशक से चल रहा है| हैरानी की बात तो यह है कि मामला फर्ज़ी कागज़ों पर नौकरी का था लेकिन तब के बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने नियुक्ति के समय सभी प्रमाण पत्रों की जांच और सत्यापन के कार्य में भारी लापरवाही की| लापरवाही ऐसी की जो सरकरी सिस्टम को हिला कर रख दे| पाकिस्तानी नागरिकता होने के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के लोगों ने महिला शिक्षिकाओं को नौकरी जॉइन करा दी|
मामला सुर्ख़ियों में है और अब एसपी रामपुर के पत्र के आधार पर बीएसए बरेली विनय कुमार ने तुरंत महिला को जांच कर निलंबित कर दिया है.| वहीं, उस समय पाकिस्तानी महिला को जॉइन करवाते समय प्रमाण पत्रों की जांच और सत्यापन के कार्य में किसने लापरवाही बरती या अहम भूमिका की थी, इसकी जांच शुरू करा दी है|
क्या है पूरा मामला-
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के बरेली और रामपुर ज़िले में तैनात 2 महिला शिक्षिकाओं ने अपनी पाकिस्तानी नागरिकता को छिपाकर बेसिक शिक्षा परिषद में सरकारी शिक्षक की नौकरी जॉइन क| जब मामला सुर्ख़ियों में आया तो गृह मंत्रालय ने इस पूरे प्रकरण पर रिपोर्ट मांगी, तो दूसरी ओर बेसिक शिक्षा विभाग ने दोनों शिक्षकों के ससपेंड कर बर्खास्त भी कर दिया| कहानी शुरू हुई थी तीन दशक पहले जब रामपुर निवासी माहिरा उर्फ फरज़ाना का निकाह पाकिस्तान के रहने वाले सिबगत अली से हुआ था| निकाह के बाद वह पाकिस्तान चली गई और वहीं बस गई| पाकिस्तान की नागरिकता मिलने के 2 साल बाद उसका तलाक हो गया और वह दोनों बेटियां शुमाएला खान उर्फ फुरकाना और अलिमा के साथ वीजा लेकर वापस भारत आ गई और रामपुर में बस गई| मगर वीजा की अवधी समाप्त होने के बावजूद वह वापस पाकिस्तान नहीं गई| वीजा की अवधी खत्म होने पर एलआईयू ने रामपुर के शहर कोतवाली में 1983 में विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत उसके खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया था| मगर तब मामला मामला शांत हो गया, इसी बीच 22 जनवरी, साल 1992 को माहिरा बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर नियुक्त हो गयी| शिकायत पर मामला शासन तक पहुंचा, तो विभाग ने उसे तथ्य छिपाकर नौकरी करने के आरोप में निलंबित कर दिया| मगर बाद में किसी की सिफारिश पर वह दोबारा बाहल भी हो गई| इसके बाद फिर मामला शांत हो गया|