*आनंदी बेन पटेल*
महिला शक्ति से देश की तस्वीर बदल रही है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। अब वह समय आ गया है कि महिलाएँ रोज़गार दे रही हैं, ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अपने साथ आस पास की महिलाओं को जोड़ कर आत्मनिर्भर ही नहीं बन रही हैं बल्कि घर की आमदनी को बढ़ाने में सहयोग कर रही हैं। महिलाएं मास्टर ट्रेनर के रूप में साथ की महिलाओं को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी दे रही हैं। ये महिलाएं गांवों में गोबर और गोमूत्र सहित अन्य अपशिष्ट से खाद बनाने में भी बराबर का कार्य कर रही हैं।
आज मैं रायबरेली में चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, दरियापुर में जनपद की प्रगतिशील किसान महिलाओं से संवाद कर रही थी। रायबरेली की कई महिला किसानों से बारी-बारी से उनकी सक्सेज स्टोरी सुनी कि कैसे उन्होंने अपने अपने गांवों में अल्प संसाधनों और सरकार के सहयोग से प्राकृतिक खेती तथा अन्य कृषि उत्पादों एवं उपज को बढ़ा कर अपने परिवार की और साथी महिलाओं की आय बढ़ाने का कार्य किया है। प्रगतिशील महिला किसानों से उनके कृषि कार्यों के अनुभव सुने। कहा कि नारी शक्ति को कम आकने का समय अब जा चुका है और महिलाओं की खेती और किसानी के साथ-साथ ग्रामीण उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन और उसके क्रय विक्रय में नई चुनौतियों को स्वीकार कर रही हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण से बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा और बच्चों का भविष्य ही देश का भविष्य है। किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा आर्गेनिक उत्पादों से किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने अवगत कराया कि इस केंद्र ने अपने आस पास के 46 गांवों को गोद लिया है। केंद्र ने आस पास के किसानों की एक टेलीफोन डॉयरेक्ट्री भी तैयार की है। इन गांवों में पौधारोपण के आधुनिक प्राकृतिक तरीकों को बताया जाता है। फोन नंबरों पर किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके और खेती से अधिक धन कमाने के तरीके बताए जाते है। इसके साथ ही व्हाट्सएप ग्रुप में इन किसानों को जोड़ कर उन्हें नियमित रूप से नए-नए वैज्ञानिक कृषि प्रयोगों से अवगत कराया जाता है।
केन्द्र पर महिला किसानों के समूह ने भी भेंट कर अपने उत्पादों तथा गृह उद्योगों की जानकारी दी। महिलाओं द्वारा चलाई जा रही पोषण वाटिका के उत्पादों की विशेष जानकारी लेते हुए उन्हें अधिक उत्पादन के लिए उन्नत कृषि तकनीक के उपयोग हेतु केन्द्र से सहायता प्राप्त करने को कहा। केन्द्र पर किसानों की आय दोगुनी करने हेतु लगायी गयीं विभिन्न इकाइयां जैसे क्रॉप कैफेटेरिया, औषधि वाटिका, कृषि प्रणाली पद्धति, नाडेप कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, जैविक कीटनाशक इकाइयां, फल-सब्जी पौध इकाई तथा फेरोमन ट्रैप आदि का अवलोकन करके विस्तार से जानकारी ली। इस दौरान केन्द्र पर लगाई गई कृषि प्रदर्शनी में महिलाओं की आय दोगुनी करने हेतु कौशल विकास द्वारा लगाए गए मॉडल की विशेष रूप से सराहना की ।
RAEBARELI(SALON)
TAHSIL CORRESPONDENT