हौसले से जीती सरिता ने टीबी की जंग
लखनऊ क्षय रोग लाइलाज बीमारी नहीं है | समय से बीमारी का पता लग जाए और छह माह तक पूरा इलाज किया जाए तो कोई दिक्कत नहीं होती है और रोगी पूर्णतया ठीक हो जाता है |
गुडम्बा निवासी नवविवाहिता 28 वर्षीय सरिता( बदला हुआ नाम) बताती हैं कि उन्हें जनवरी 2022 में लगातार दस दिनों तक बुखार आया | निजी अस्पताल में इलाज कराया लेकिन कोई लाभ न मिल पाने के कारण डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी(सिविल) अस्पताल में जाकर चिकित्सक को दिखाया | वहाँ जांच के बाद फेफड़ों में क्षय रोग की पुष्टि हुई | पहले तो मैं घबरा गई लेकिन चिकित्सक ने मुझे समझाया कि में पूरी तरह से ठीक हो जाऊँगी | बस मुझे 6 माह तक लगातार दवा का सेवन करना है और पौष्टिक आहार लेना है | मुझे पति और घरवालों का सहयोग मिला और टीबी चॅम्पियन सुनीता तिवारी भी मेरा हौसला बढ़ाती रहीं | मुझे दवा और पौष्टिक भोजन का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करतीं | इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपया प्रतिमाह मेरे खाते में भी आए | दवा खाने से मुझे उल्टी और चक्कर आते थे लेकिन मैंने दवा खाना नहीं छोड़ा और आज मैं बिल्कुल स्वस्थ हूँ | इस दौरान मैंने गर्भधारण कर लिया है और मेरा तीसरा माह चल रहा है | मैनें इस मामले में अपने डाक्टर से सलाह भी ली है | उन्होंने कहा है कि कोई खतरा नहीं है | मैनें अपना पंजीकरण भी स्वास्थ्य केंद्र पर करवा लिया है |
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की वरिष्ठ रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता देव बताती हैं कि क्षय रोग से उबर चुकी गर्भवती को अपने आहार पर विशेष ध्यान रखना चाहिए | संतुलित और पौष्टिक भोजन का सेवन करे,साफ सफाई का विशेष ध्यान रखेऔर प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखे ताकि दोबारा क्षय रोग न हो |
प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आर.वी.सिंह बताते हैं कि लगातार दो हफ्तेया उससे ज्यादा दिनों तक खांसी आना, शाम के समय बुखार रहना, बलगम में खून आना, वजन का न बढ़ना यह टीबी के संभावित लक्षण हैं | यदि इनमें से कोई भी लक्षण प्रकट हों तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं | स्वास्थ्य केंद्रों पर क्षय रोग की जांच और इलाज निशुल्क उपलब्ध है |