
सलोन, रायबरेली
बज़्मे हयात ए अदब किठावां के तत्वाधान में इमरान ऐशी नसीराबादी के सम्मान में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उनकी शालपोशी की गई । मिस्रा ए तरह था ‘ तुम दिल से पिलाओगे तो इनकार नहीं है’ अध्यक्षता ख़ुर्शीद अम्बर प्रतापगढ़ी नेकी और संचालन आलिम समर ने किया ।पसंदीदा शेर पेशे ख़िदमत हैं : ख़ुर्शीद अम्बर प्रतापगढ़ी – देना है संभाला भी जब आख़िर में तुम्हीं को , जितनी भी पिलाओ मुझे इनकार नहीं है। इमरान ऐशी नसीराबादी- कैसे हो मेरे हाल से वाक़िफ़ ये ज़माना ,है दर्द मगर दर्द का इज़हार नहीं है ।क़ासिम हुनर सलोनी – दुनिया की मुहब्बत का फ़ना है ‘ हुनर ‘ अन्जाम, इस खेल को छोड़ो ये मज़ेदार नहीं है। हाशिम उमर – उस शाख़ का अंजाम है बस टूट के गिरना, जो शाख़ ज़रा सी भी लचकदार नहीं है ।नफ़ीस अख़्तर सलोनी -माना कि बुरा हूं मगर इतना भी नहीं हूं, जो मेरा यहां कोई तरफ़दार नहीं है ।शब्बीर हैदर – दामाने वफ़ा पर जो लगाए हुए हैं दाग़ ,औरों को वो कहते हैं वफ़ादार नहीं है। आलिम समर -दावा है तो साबित उसे करना है ज़रूरी, सोना है तो फिर क्यों वो चमकदार नहीं है ।शान सलोनी – चल और किसी शहर में करते हैं तिजारत, फूलों का यहां कोई ख़रीदार नहीं है, अम्मार सहर- धोखा ही दिया है मुझे तुमने तो हमेशा, कुछ मुझको क़लक़ इसलिए इस बार नहीं है। तय्यार ज़फ़र – किस तरह कहूं मैं कि तुझे मुझसे है उल्फ़त , तू नाम मेरा लेने को तैयार नहीं है। अन्त में इरशाद महाराजा अचार वाले ने सबका आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर साजिद ,रहमत अली, अख़लाक़, नौशाद अंसारी, वक़ार ,बिलाल आदि मौजूद रहे।

RAEBARELI(SALON)
TAHSIL CORRESPONDENT